अर्थ – व्यवस्था और आजीविका class 10th History Subjective Question Answer


Hello Students, आज मै आपको बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना पर आधारित कक्षा दसवीं के इतिहास व्यापार और भूमंडलीकरण का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर कराऊंगा अगर आप भी मैट्रिक की परीक्षा 2025 में देने वाले हैं, तो आज के इस पोस्ट में आपको Bihar Board Class 10th History Subjective Question Chapter - 3 (अर्थ – व्यवस्था और आजीविका) का विस्तार से विवरण दिया गया है। यहां पर Study Books Classes से जुड़कर Website और YouTube Channel पर तैयारी कराए गए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं जो आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत सहायक होंगे। ये History (इतिहास) Subjective Question PDF में डाउनलोड करने के लिए भी उपलब्ध हैं।


अर्थ – व्यवस्था और आजीविका class 10th History Subjective Question Answer

अर्थ – व्यवस्था और आजीविका class 10th History Subjective Question Answer 



 अर्थ - व्यवस्था और आजीविका : Long Question

1. औद्योगिकीकरण का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर:- औद्योगिकीकरण का भारत पर व्यापक पड़ा। औद्योगिकीकरण के भारत पर प्रभाव निम्नलिखित हुए -

(1) उद्योगों का विकास औद्योगिकीकरण के विकास के पूर्व भारत मा उत्पादन का कार्य छोटे गह उद्योगों में होता था। अब उत्पादन कारखानों में होने लगा। कपड़ा बुनन, सूत कातने के लिए मिल स्थापित हुए। इस प्रकार औद्योगिकीकरण से भारतीय उद्योगों का विकास हुआ।

(ii) नगरीकरण को बढ़ावा औद्योगिकीकरण ने नगरीकरण को बढ़ावा दिया। औद्योगिक केंद्र नगर के रूप में परिवर्तित हए। वहाँ बाहर के लोगों को आकर बसने से जनसंख्या में वृद्धि हुई। औद्योगिकीकरण के कारण पुराने नगरों जैसे बंबई. कलकत्ता की समृद्धि में वृद्धि हुई तो नए नगर भी विकसित हुए जैसे जमशेदपुर, बोकारो, सिंदरी, धनबाद, डालमियानगर इत्यादि।

(iii) कुटीर उद्योगों की अवनति कारखानों की स्थापना ने परंपरागत कुटीर एवं लघु उद्योगों का पतन कर दिया। इसका एक मुख्य कारण था, कारखानों में उत्पादित सामान सस्ते थे जबकि कुटीर उद्योगों में उत्पादित सामान महंगे होते थे। इसलिए बाजार में इनकी माँग घट गई। सरकारी नीतियों के कारण कुटीर उद्योगों को कच्चा माल मिलना भी दुर्लभ हो गया। फलतः वे बंद प्राय हो गए।

(iv) सामाजिक विभाजन 'भारत में औद्योगिकीकरण के विकास के साथ ही नए-नए सामाजिक वर्गों का उदय और विकास हुआ। कल-कारखानों के विकास के कारण समाज में पूँजीपति वर्ग तथा श्रमिक वर्ग का उदय हुआ।


2. कुटीर उद्योग के महत्त्व एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालें।

उत्तर:- भारत में औद्योगिकीकरण ने कुटीर उद्योगों को काफी क्षति पहुँचाई परंतु दस विषम परिस्थिति में भी गाँवों में यह उद्योग फल-फूल रहा था, जिसका लाभ आम जनता को मिल रहा था महात्मा अनुसार लघु एवं कुटीर उद्योग भारतीय सामाजिक दशा के अनकल हैं। कटीर उद्योग उपभाक से अत्यधिक संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने में तथा रा. जैसे महत्त्व से जुड़ा है। सामाजिक तथा आर्थिक समस्या स्याओं का समाधान कुटीर उधागों द्वारा ही होता है। कटीर उद्योग में बहत कम पूँजी की आवश्यकता होती है। कुटीर उद्योग में वस्तुओं के उत्पादन करने की क्षमत असर उद्योग में वस्तुओं के उत्पादन करने की भापता कछ लोगों क हाथ म न रहकर बहुत से लोगों के हाथ में रहती है। कटीर उद्योग जनसंख्या का या को बड़े शहरों में पलायन को रोकता है। कुटीर उद्योग गाँवों को आत्मनिर्भर बनाने का एक औजार है। आद्यागिकीकरण के विकास के पहले भारतीय निर्मित वस्तुओं का विश्वव्यापी बाजार था। भारतीय मलमल तथा छींट सती कपड़ों की माँग पूरे विश्व में थी। ब्रिटेन भारतीय हाथों से बनी हई वस्तओं का ज्यादा महत्त्व दिया जाता था। हाथों से बन महीन धागों के कपडे तसर मिल्क बनारसी तथा बालुचेरी साड़िया तथा बने हुए बॉडर वाली साडियाँ एवं मद्रास की लंगियों की मांग ब्रिट अधिक थी। चूंकि ब्रिटिश सरकार की नीति भारत में विद बाटश सरकार की नीति भारत में विदेशी निर्मित वस्तओं आयात एवं भारत के कच्चा माल के निर्यात को प्रोत्साहन देना था, इसलिए ग्रामीण उद्योगों पर ध्यान नहीं दिया गया। फिर भी स्वदेशी आंदोलन के समय खादी जैसे वस्त्रों की माँग नं कुटीर उद्योग को बढ़ावा दिया।


3. औद्योगिकीकरण के कारणों का उल्लेख करें।

उत्तर:- औद्योगिकीकरण के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे.

(i) स्वतंत्र व्यापार एवं अहस्तक्षेप की नीति- ब्रिटेन में स्वतंत्र व्यापार और अहस्तक्षेप की नीति ने ब्रिटिश व्यापार को बहुत

अधिक विकसित किया। जिसके कारण उत्पादित वस्तुओं की मांग में काफी वृद्धि हुई।

(ii) नय-नये मशीनों का आविष्कार अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में ब्रिटेन में नये-नये यंत्रों एवं मशीनों के आविष्कार ने उद्योग जगत में ऐसी क्रांति का सूत्रपात किया, जिससे औद्योगिकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। 1770 ई० में जेम्स हारग्रीब्ज ने सूत काटने की एक अलग मशीन स्पिनिंग जेनी बनाई। सन् 1773 में जॉन के ने फ्लाइंग शदल' बनाया जिसके द्वारा जुलाहे बड़ी तेजी से काम करने लगे तथा धागे की माँग बढ़ने लगी। टॉमस बेल के 'बेलनाकार छपाई के आविष्कार ने तो सूती वस्त्रों की रंगाई एवं छपाई में नई क्रांति ला दी।

(iii) कोयले एवं लोहे की प्रचुरता चूँकि वस्त्र उद्योग की प्रगति कोयले एवं लोहे के उद्योग पर बहुत अधिक निर्भर करती है, इसलिए इन उद्योगों पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया। ब्रिटेन में कोयल एवं लोहे की खाने प्रचूर मात्रा में थी। 1815 ई० में हेनरी बेसेमर ने एक शक्तिशाली भट्टी विकसित करके लौह उद्योग को और भी बढ़ावा दिया।

(iv) उद्योग तथा व्यापार के नये-नये केंद्र- फैक्ट्री प्रणाली के कारण उद्योग एवं व्यापार के नये-नये केंद्र स्थापित होने लगे। लिवरपुल में स्थित लंकाशायर तथा मैनचेस्टर सूती वस्त्र उद्योग का बड़ा केंद्र बन गया। न्यू साउथ वेल्स ऊन उत्पादन का केंद्र बन गया।

(v) सस्ते श्रम की उपलब्धता औद्योगिकीकरण में ब्रिटेन में सस्ते श्रम की आवश्यकता की भूमिका भी अग्रणी रही। बाड़ाबंदी प्रथा की शुरुआत के कारण जमींदारों ने छोटे-छोटे खेतों को खरीदकर बड़े-बड़े फार्म स्थापित कर लिए। जमीन बेचनेवाले छोटे किसान भूमिहीन मजदूर बन गए। मशीनों द्वारा फैक्ट्री में काम करने के लिए असंख्य मजदूर कम मजदूरी पर भी तैयार हो जाते थे।

(vi) यातायात की सुविधा- फैक्ट्री में उत्पादित वस्तुओं को एक जगह स दसरे जगह पर ले जाने तथा कच्चा माल की फैक्ट्री तक लाने के लिए ब्रिटेन म यातायात की अच्छी सुविधा उपलब्ध थी। रेलमार्ग शुरू होने से पहले नदियों एवं समुद्र के रास्ते व्यापार होता था। जहाजरानी उद्योग में यह विश्व का अग्रणी देश था और सभी देशों के सामानों का आयात-निर्यात मुख्यतया ब्रिटेन के व्यापारिक जहाजी बेड़े से ही होता था, जिसका आर्थिक लाभ औद्योगिकीकरण की गति का तीव्र करने में सहायक बना।

(vii) विशाल उपनिवेश औद्योगिकीकरण की दिशा में ब्रिटेन द्वारा स्थापित विशाल उपनिवेशों ने भी योगदान दिया। इन उपनिवेशों से कच्चा माल सस्ते दामा में प्राप्त करना तथा उत्पादित वस्तुओं को वहाँ के बाजारों में महंगे दामों पर बेचना आसान था।


4. उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं? औद्योगिकीकरण ने उपनिवेशवाद को कस जन्म दिया?

उत्तर:- किसी शक्तिशाली साम्राज्यवादी देशों द्वारा किसी दूसरे कमजोर देशों पर अधिकार कर उसकी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं उसके शासन प्रबंध पर नियंत्रण कर लेने की प्रक्रिया को ही उपनिवेशवाद कहते हैं। अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में नये-नये यंत्रों एवं मशीनों के आविष्कार ने उद्योग जगत में ऐसे क्रांति का सूत्रपात किया जिससे औद्योगिकीकरण एवं उपनिवेशवाद दोनों का मार्ग प्रशस्त हुआ। मशीनों का आविष्कार तथा कारखानों की स्थापना से उत्पादन में काफी वृद्धि हुई। इसकी खपत किसी एक देश में होना संभव नहीं था। अतः सामानों की बिक्री के लिए तथा कच्चे माल की प्राप्ति के लिए यूरोप के बड़े-बड़े देश बाजार और उपनिवेश खोजने लगे। यूरोप के नई राष्ट्रों ने अमेरिका, एशिया, अफ्रीका इत्यादि महादेशों में अपने-अपने उपनिवेश स्थापित किए। इसी क्रम में एशिया में भारत ब्रिटेन के एक विशाल उपनिवेश के रूप में उभरा। भारत सिर्फ प्राकृतिक एवं कृत्रिम संसाधनों में ही सम्पन्न नहीं था, बल्कि यह उनका एक वृहत बाजार भी साबित हुआ। इस तरह हम कह सकते हैं कि औद्योगिकीकरण ने उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया।


5. औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंगलैंड में ही क्यों हुई ?

उत्तर:- औद्योगिक क्रांति सबसे पहले इंगलैंड में हुई। इसके प्रमख कारण निम्नलिखित थे:-

(1) इंगलैंड की भौगोलिक स्थिति उद्योग धंधों के विकास के अनुकूल थी। उसके पास अच्छे समुद्री बंदरगाह एवं प्रचुर मात्रा में कोयला और लोहा जैसे खनिज पदार्थ उपलब्ध थे।

(II) 18 वीं शताब्दी में इंगलैंड में कृषि क्रांति हुई जिससे सस्ते मजदूर बड़ी संख्या में उपलब्ध हो गए।

(iii) उपनिवेशों से व्यापारिक संबंध स्थापित कर व्यापारियों ने कारखानों को चलाने के लिए कच्चा माल तथा उत्पादित वस्तुओं की बिक्री के लिए बड़ा बाजार सुनिश्चित कर लिया।

(iv) मुक्त व्यापार और अहस्तक्षेप की नीति अपनाकर ब्रिटिश सरकार ने व्यापार और उद्योगों के विकास को बढ़ावा दिया। (v) औद्योगिक क्रांति लाने में इंगलैंड के वैज्ञानिकों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान था जिन्होंने नए-नए मशीनों का आविष्कार किया।

(vi) भारत जैसे संपन्न उपनिवेशों से इंगलैंड को उद्योगों के लिए कच्चा माल एवं उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार भी उपलब्ध हो गया। उपरोक्त कारणों के चलते ही औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम यूरोप में हुई।


6. औद्योगिक क्रांति का इंगलैंड पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर:- औद्योगिक क्रांति ने व्यापक रूप से इंगलैंड के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन को प्रभावित किया। इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति के निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण परिणाम हुए-

(i) कारखानेदारी प्रथा का विकास औद्योगिक क्रांति के कारण इंगलैंड में बड़ी संख्या में विशाल कारखाने खुले जिनमें बड़े स्तर पर उत्पादन होने लगा।

(ii) नगरों के स्वरूप में परिवर्तन कारखानों की स्थापना से तत्कालीन नगरों का स्वरूप बदल गया। अब आधुनिक नगरों का उदय हुआ। अनेक नगर औद्योगिक केन्द्र बन गए।

(iii) पूँजीपति वर्ग का विकास औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप इंगलैंड में पूंजीपति वर्ग का विकास हुआ। कुलीन, सम्पन्न एवं व्यापारी अपनी अतिरिक्त पूँजी उद्योगों में निवेश करने लगा।

(iv) श्रमिक वर्ग का उदय औद्योगिक क्रांति के कारण कारखानों में काम करने वाले श्रमिक वर्ग का उदय हुआ। ये अपना घर-गाँव छोड़कर शहरों में आकर कारखानों में काम करने लगे। परंतु इनकी स्थिति शोचनीय थी। वे शोषण, गरीबी और भूखमरी के शिकार थे। (v) बाल श्रम की प्रथा का विकास कारखानेदारी प्रथा के विकास ने बाल श्रम की प्रथा को भी बढ़ावा दिया। उद्योगपति इन्हें कम मजदूरी पर ही बहाल कर इनसे कारखानों में काम लेते थे जिससे उन्हें मुनाफा होता था।

(vi) स्त्री-श्रम का विकास- बच्चों के समान स्त्रियों को भी कारखानेदारों ने कम मजदूरी पर काम में लगाया। इनका भी जीवन कष्टदायक था।

(vii) उपनिवेशवाद का विकास औद्योगिक क्रांति ने उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया। कारखानों को चलाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति एवं उत्पादित सामान की खपत के लिए बाजार की खोज के लिए एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश स्थापित किए गए।


निष्कर्ष:-

इस प्रकार हमने आपको Class 10th History Subjective Question Chapter - 5 (अर्थ – व्यवस्था और आजीविका) के बारे में पूरी जानकारी विस्तारपूर्वक से Bihar Board Exam 2025 के लिए प्रदान किया अगर आप सभी को हमारा आर्टिकल पसंद आया हो तो आप हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें अगर आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई सुझाव हो तो आप हमे आप नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें | हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। यदि यह लेख आपको पसंद आया है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें। लेख पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद 🙂

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